उदयपुर। बीमारी व अन्य कारणों से आंखों की रोशनी खो चुके छह लोगों का जीबीएच जनरल हॉस्पिटल में नेत्र प्रत्यारोपण किया गया। वे फिर से पहले जैसे देखने लगे हैं। जीबीएच जनरल हॉस्पिटल को कॉर्निया ट्रांसप्लांट की अनुमति मिलने से यह संभव हुआ है। (corneal transplant in udaipur)
राज्य सरकार के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी की रिपोर्ट के बाद अमेरिकन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से संबद्ध जीबीएच जनरल हॉस्पिटल को पिछले दिनों नेत्र प्रत्यारोपण (कॉर्नियल ट्रांसप्लांट) करने की अनुमति दी गई थी। इसका विधिवत उद्घाटन चेयरमैन डॉ. कीर्ति कुमार जैन ने किया। इस यूनिट में नेत्रहीन छह लोगों का पिछले दो महीने में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर नेत्र ज्योति लौटाकर अंधकार दूर किया गया। कॉर्निया ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नीतिश कथुरिया व टीम द्वारा यह सफल ऑपरेशन किए गए।
कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अंधता का दूसरा प्रमुख कारण
कॉर्निया ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नीतिश कथुरिया ने बताया कि मोतियाबिंद के बाद कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अंधता का दूसरा प्रमुख कारण है। समय रहते इसका उपचार कराने से काफी हद तक अंधता से बचाव संभव है। आंखों का इंफेक्शन, आंख की काली कीकी का फेल होना, केरेटोकॉनस अथवा अनुवांशिक बीमारियां कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के कारणों में शामिल है। वर्तमान में संपूर्ण कॉर्निया ट्रांसप्लांट की बजाय कुछ हिस्से का प्रत्यारोपण करके अंधता का उपचार संभव है। इस तरह के ऑपरेशन की सफलता दर 90 प्रतिशत है।
ग्रुप डायरेक्टर डॉ आनंद झा ने बताया कि देशभर में इस तरह के अंधता की संख्या लाखों में है। मृत्योपरांत नेत्रदान व अनुभवी कॉर्निया ट्रांसप्लांट सर्जन की कमी के चलते इस तरह की अंधता के शिकार कुछ ही लोगों का नेत्र प्रत्यारोपण संभव हो पाता है। जीबीएच जनरल हॉस्पिटल में इसकी शुरूआत के साथ ही नेत्र प्रत्यारोपण वाले मरीजों की सूची तैयार की जा रही है। इसके साथ ही सभी संस्थाओं में होने वाले नेत्रदान के लिए भी संपर्क किए जा रहे है। इस तरह के नेत्रदान से दो महीने में छह मरीजों की रोशनी लौटाना संभव हुआ है। साथ ही इसके प्रति जागरूकता के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
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