झोलाछाप डॉक्टर नहीं, उदयपुर में मिलते हैं झोलाछाप हॉस्पिटल विद आईसीयू.!
सवाल बस इतना कि बिना रजिस्ट्रेशन ये हॉस्पिटल चल ही कैसे रहे थे.?
लकी जैन, उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। केन्द्र और राज्य सरकार का फोकस आम जनता को बेहतर से भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का है, चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए औचक निरीक्षण किए जा रहे हैं, वहीं उदयपुर में हालात इसके उलट दिखायी देते हैं (medical news udaipur)। उदयपुर में बगैर रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के पूरे हॉस्पिटल महीनों से चलते रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को ये दिखायी नहीं देते।
शहर के मुख्य चौराहों पर स्थित ये हॉस्पिटल मरीजों के जीवन से लगातार खिलवाड़ करते रहते हैं, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी मरीज या उसके परिजन की शिकायत का इंतजार करते रहते हैं। सवाल बस इतना आखिर क्यों ये हॉस्पिटल बिना शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों को दिखायी नहीं देते.? सवाल बस इतना कि बिना रजिस्ट्रेशन ये हॉस्पिटल चल ही कैसे रहे थे.?
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी दावों बीच ऐसे फर्जी हॉस्पिटल चल ही कैसे रहे थे.?
पिछले पांच महीनों में उदयपुर शहर में ऐसे दो हॉस्पिटल सामने आ चुके हैं, जो बिना लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से चल रहे थे। इन हॉस्पिटल्स में गंभीर मरीजों को तक भर्ती किया जा रहा था। यहां आईसीयू-वैंटीलेटर से लेकर मरीजों का ऑपरेशन तक किया जा रहा था। लेकिन यहां न तो पर्याप्त डॉक्टर थे, न ही पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ। कई खामियों के साथ चल रहे इन हॉस्पिटल्स में एंबुलेंस चालक कमीशन के लालच में मरीज के परिजनों को धोखा देकर मरीज को भर्ती करवा देते थे। एंबुलेंस चालकों को प्रति मरीज हजारों रूपए का कमीशन मिलता है।
इन हॉस्पिटल्स में इलाज के नाम से मरीज के परिजनों से लाखों रूपयों की वसूली कर ली जाती थी। शहर के मुख्य मार्गों पर ये हॉस्पिटल बिना लाइसेंस महीनों तक चलते रहे, लेकिन सरकारी विभाग के जिम्मेदार को ये दिखायी नहीं दिए। दिखायी तब दिए जब इनकी कारगुजारियों से तंग आ चुके परिजन ने शिकायत की।
निजी अस्पतालों की मॉनीटरिंग के लिए बनी टीमों को ये हॉस्पिटल क्यों नहीं दिखायी देते.?
इन हॉस्पिटल के खुलासे और इनके सीज होने के बाद सवाल बस इतना ही है कि शहर में बिना लाइसेंस के इतने बड़े हॉस्पिटल चल ही कैसे रहे हैं। शहर के निजी अस्पतालों की मॉनीटरिंग के लिए बनायी गयी सरकारी मेडिकल टीमों को ये हॉस्पिटल क्यों नहीं दिखायी देते। क्यों शिकायत के बाद ही इन हॉस्पिटल पर कार्यवाही होती है। इससे तो यही स्पष्ट होता है कि अगर मरीज या परिजन शिकायत नहीं करें तो उदयपुर में बगैर लाइसेंस कोई भी झोलाछाप डॉक्टर झोलाछाप हॉस्पिटल भी चला सकता है।
इन दो मामलों ने बताया कि जिम्मेदारों के आंखों पर बंधी हुई थी पट्टी, जो शिकायत पर ही खुलती है
- केस-1 : 26 सितंबर 2023 को एक महिला की शिकायत पर सीएमएचओ की टीम ने भुवाणा चौराहा स्थित सरोज हॉस्पिटल एंड ट्रोमा सेंटर पर छापा मारा था। शिकायत में महिला ने बताया था कि बिजली से जल जाने से मरीज को हॉस्पिटल ला रहे थे। एंबुलेंस चालक सरकारी के बजाए धोखे से इस हॉस्पिटल में ले आया और गंभीर हालत में मरीज को यहीं भर्ती करवा दिया। यहां हॉस्पिटल वाले मरीज के इलाज के नाम से 10 लाख रूपए वसूल चुके हैं और तीन लाख रूपए और मांग रहे हैं, जबकि भरत की हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
महिला की शिकायत ने जब सीएमएचओ ने सरोज हॉस्पिटल पर छापा मारा तो पता चला कि यह हॉस्पिटल बिना रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के चल रहा था। जिसके बाद सीएमएचओ ने इस हॉस्पिटल पर कार्यवाही की थी।। क्लिक करें डिटेल पढ़ें : सीएमएचओ ने जब सरोज हॉस्पिटल पर छापा मारा तो क्या हालात आए थे सामने
- केस-2 : 8 फरवरी 2024 को परिजन की शिकायत पर सीएमएचओ की टीम ने सेक्टर 6 स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल पर छापा मारा। यहां भी परिजन ने शिकायत की थी कि लाखों रूपए फीस वसूलने के बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन उनके मरीज को डिस्चार्ज नहीं कर रहे हैं और डिस्चार्ज के लिए और रूपए मांग रहे हैं।
सीएमएचओ की टीम ने जब हॉस्पिटल प्रबंधन से दस्तावेज मांगे तो पता चला कि यह हॉस्पिटल भी बिना रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के चल रहा था। जिसके बाद सीएमएचओ ने इसे सीज किया। क्लिक करें डिटेल पढ़ें : क्यों सीज हुआ जीवन ज्योति हॉस्पिटल
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