सीबीआई इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील
एआर लाइव न्यूज। देश को 2006 में हिलाकर रख देने वाले बहुचर्चित निठारी कांड (Nithari case update) में आज सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी मोनिंदर सिंह पंढ़ेर और सुरेन्द्र कोली को मिली फांसी की सजा रद्द कर दी है। ऐसे में संभावना है कि मोनिंदर पंढेर जेल से रिहा हो जाए। हालां कि सीबीआई हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
निठारी केस वही प्रकरण है जिसमें पुलिस ने दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी गांव में पंढेर के घर के पास नाले से 19 बच्चियों, युवतियों और महिलाओं के कंकाल एक नाले से बरामद किए थे। आरोप था कि मोनिंदर पंढ़ेर और उसके घर का नौकर सुरेन्द्र कोली किसी बहाने या नौकरी के बहाने महिला-युवतियों को घर बुलाते थे। घर आने के बाद युवति के साथ रेप कर हत्या कर देते थे और लाश को नाले में फेंक देते थे।
चश्मदीद नहीं होने का उठाया फायदा
इस प्रकरण की जांच सीबीआई ने की थी। इसमें पंढेर के खिलाफ कुल 6 मामले थे, जिनमें पढ़ेर को दो केस में फांसी की सजा सुनाई गई थी। एक केस में 7 वर्ष की सजा हुई थी, जबकि तीन केस में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पढ़ेर ने फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।
जबकि सुरेन्द्र कोली के खिलाफ 16 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें 12 मामलों में सुरेन्द्र कोली को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। दोनों आरोपियों ने खुद को सजा-ए-मौत दिए जाने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
आरोपियों ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा था कि इन घटनाओं में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही फांसी की सजा सुनाई गयी है।
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