गहलोत की गुगली….नहीं लड़ेंगे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव,दिल्ली में रखी दिल की बात, सोनिया गांधी से की मुलाकात
उदयपुर (एआर लाइव न्यूज)। तमाम अटकलों के बीच अशोक गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं लडऩे का एलान कर दिया हैं। गहलोत ने गुरुवार को नई दिल्ली में सोनिया गांधी के मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में यह एलान किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से जुड़े मीडिया के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह फैसला मैं नहीं करूंगा। यह फैसला सोनिया गांधी करेगी।
सीधे तौर पर यह गहलोत की राजनीतिक गुगली कही जा सकती हैं। क्योंकि गहलोत पहले तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लडऩे फ्रंटफुट पर आए, लेकिन जैसे ही उनको यह आभास हुआ कि अध्यक्ष बनते ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सचिन पायलट के नाम होने वाली है और इसकी नई दिल्ली में व्यू रचना भी तैयार की जा चुकी हैं। सचिन पायलट वह नाम है तो आज की तारीख में अशोक गहलोत को फूटी आंख भी नहीं सुहा रहा हैं।
गहलोत को यह आभास भी हो गया था कि एक बार पायलट मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज हो गए तो पायलट की राजनीतिक जड़े हिलाना मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाएगा। इससे गहलोत की अभी जो मजबूत टीम हैं वह भी आने वाले समय में ताश के पत्तों की तरह बिखर सकती हैं। कहीं न कहीं इसी आभास को भांपते हुए गहलोत ने राजस्थान की धरती पर ही राजनीतिक मैच खेलना जारी रखने का तय करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ से अपने आप को बाहर करने का एलान कर दिया।
नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में यह बोले गहलोत
सोनिया गांधी के साथ बैठकर पूरी बात की हैं। कांग्रेस ने मेरे ऊपर हमेशा विश्वास किया हैं और मैने वफादार सिपाही की तरह काम किया। मैं केंद्रीय मंत्री बना, कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना,एआईसीसी का महामंत्री बना और सोनिया गांधी के आशीर्वाद से तीसरी बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बना हुं। गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने जो फैसला किया उसे मैं भूल नहीं सकता।
गहलोत ने हाल ही में राजस्थान में घटित राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना ने हम सबको हिलाकर रख दिया। इस घटना से मुझे जो दुख हैं वह मैं ही जान सकता हुँ। क्योंंकि पूरे देश में यह मैसेज चला गया जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहा हूं। इसलिए यह सब कुछ हो रहा हैं। मैने सोनिया गांधी से भी माफी मांगी हैं कि कांग्रेस की परंपरा रही है कि चाहे कोई भी फैसला करना हो हम एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं। दूर्भाग्य से हमारे यहां उस वक्त ऐसी स्थिति बन गई कि वह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
गहलोत ने कहा कि क्योंकि मैं वहां सीनियर लीडर भी हूं और मुख्यमंत्री भी फिर भी मैं उस प्रस्ताव को पास नहीं करवा पाया। कारण चाहे कुछ भी रहे होंगे, मेरी जवाबदेही है कि एक मुख्यमंत्री होने के बावजूद में एक लाइन का प्रस्ताव जो हमारी परंपरा है पहली बार उस परंपरा अनुसार प्रस्ताव पास नहीं हो पाया। इस बात का दुख मुझे हमेशा जिंदगी भर रहेगा। मैने सोनिया गांधी से भी सॉरी फील कीया है कि मैं उस काम(एक लाइन का प्रस्ताव) में कामयाब नहीं रहा।
गहलोत ने कहा कि मैं राहुल गांधी से कोच्चि जाकर मिला और आग्रह किया कि वे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़े लेकिन तैयार नहीं हुए। उन्होंने मेरा आग्रह अस्वीकार किया तो मैने कहा था कि सब की भावना है, कार्यकर्ताओं, नेताओं की तो मैं अध्यक्ष का चुनाव लड़ूंगा, लेकिन चुकी अब कल परसों जो घटना हुई हैं और मेरी जवाबदेही थी कि वह प्रस्ताव पास होता, प्रस्ताव पास नहीं हो पाया । तो मैने तय किया है अब मैं इस माहौल के अंदर चुनाव नहीं लडूंगा। यह मेरा फैसला है। राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से जुड़े मीडिया के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह फैसला मैं नहीं करूंगा। यह फैसला सोनिया गांधी करेगी।