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RNI-DAVP का डाटा गेम….?, सैकड़ों समाचार पत्रों को डीएवीपी की अनुसूची (Panel) से हटाये जाने की आशंका..!!?

arln-admin by arln-admin
September 27, 2022
in Home, National
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(AR Live News), New Delhi, Dt. 27
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अंर्तगत एक विभाग है, आरएनआई (RNI – रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर ऑफ इंडिया) जिसे हिंदी में कहते हैं “भारत सरकार के प्रेस पंजीयन के रजिस्ट्रार। मंत्रालय का ये विभाग समाचार पत्र, पत्रिकाओं और समाचार जर्नल्स को पंजीयन प्रमाण पत्र जारी करने से लेकर, प्रसार संख्या एवं समाचार पत्रों के प्रकाशन से संबंधित विविध विषयों का समाधान करता है।


वर्ष 2016 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वार नई मीडिया पॉलिसी जारी की गई थी जिसमे कई सारे बदलाव किए गए थे। (गौरतलब है कि न्यूज वेबसाइट फैकल्टी के अनुसार 28 मई 2015 तक आरएनआई में लगभग एक लाख से अधिक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं पंजीकृत थी) आरएनआई के दिशा निर्देश के अनुसार सभी पंजीकृत समाचार पत्रों को प्रति वर्ष अपना वार्षिक विवरण आरएनआई में प्रस्तुत करना होता है। परंतु पंजीकृत संख्या का बमुश्किल 30 से 35 प्रतिशत तक हीं वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया जाता था। इस संख्या को बढ़ाने के लिए आरएनआई द्वारा अतीत में कई प्रयास किए गए।

बताया जाता है कि इस संबंध में, देश भर के सभी जिलाधिकारियों को, अपने जिले से प्रकाशित समाचार पत्र एवं  पत्रिकाओं की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया था। परंतु कितनी और क्या जानकारी मिली इसका विवरण सार्वजनिक उपलब्ध नहीं है। 15 दिसंबर 2017 की पीआईबी की एक खबर के अनुसार वित्त वर्ष 2016 17 में लगभग 31 हजार प्रकाशकों ने अपना वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया। अभी की स्थिति के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.?

इस स्थिति को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि आरएनआई को मंत्रालय द्वारा शायद ये मौखिक आदेश दिया गया है कि प्रथम चरण में ही प्रकाशकों को इतना परेशान करो कि वे आगे की कार्यवाही करने से पहले ही भाग खड़े हो..? आरएनआई में कार्य की स्थिति पहले से ही खराब थी। 2016 के बाद और ज्यादा खराब हो गई है। बची हुई कसर कोविड काल ने पूरी कर दी। आज आरएनआई की स्थिति ये है कि कितने केस विभाग में अधूरे पड़े हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है?

ताजा जानकारी के अनुसार अभी मई 2022 से पहले तक प्रकाशकों ने जो कागजात जमा किए थे। उसपर कार्यवाही चल रही है..? वित्त वर्ष 2021 22 के लिए ऑनलाइन वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने के लिए आरएनआई द्वारा अंतिम समय सीमा 31 जुलाई 2022 निर्धारित की गई थी। परंतु ऑनलाइन विवरण भरने में हो रही तकनीकी दिक्कतें और पिछले वर्षो के बकाया विवरणी का दंड शुल्क वसूलने के लिए 30 जून 2022 को एक विज्ञप्ति जारी करते  हुए आदेश दिया कि आरएनआई के पिछले वर्षो के दंड शुल्क के साथ वार्षिक विवरण कभी भी जमा किया जा सकता है और इसके लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा प्रदान करते हुए अपने वेबसाइट में बदलाव किए।

पंजीकृत समाचार पत्रों के प्रकाशकों को आरएनआई में वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने के बाद समाचार पत्र प्रकाशक प्रति वर्ष डीएवीपी में दर नवीनीकरण (Rate Renewal) के लिए आवेदन करना होता है। जिसके ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2022 तक है। डीएवीपी के वेबसाइट पर पंजीयन के लिए आरएनआई का ई फाइलिंग नंबर दर्ज करना होता है। डीएवीपी ने जारी अपनी विज्ञप्ति में साफ साफ लिखा है कि आरएनआई की विवरणी प्रस्तुत करने के 24 घंटे बाद डीएवीपी में विवरण भड़ा जा सकता है। परंतु वास्तविक सच्चाई ये है कि 31 जुलाई 2022 की अंतिम तिथि के बाद जिन प्रकाशकों ने आरएनआई में वार्षिक विवरण भरा है उनका ई फाइलिंग नंबर डीएवीपी के वेबसाइट पर अमान्य घोषित हो रहा है।

इस संबंध में जब डीएवीपी के तकनीकी विभाग (एनआईसी) में संपर्क करने पर जो जानकारी प्राप्त हुई उसके अनुसार प्रति वर्ष आरएनआई, समाचार पत्रों के वार्षिक विवरण की जानकारी (डाटा) डीएवीपी के साथ साझा करता है। जिसके बाद डीएवीपी में विवरण प्रस्तुत किया जाता है और प्रकाशकों को को दिक्कत नही होती। परंतु इस वर्ष आरएनआई ने 31 जुलाई 2022 के बाद जिस किसी भी प्रकाशक ने आरएनआई में वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया। उसका डाटा डीएवीपी को साझा नही किया है। जिसके कारण उन सभी प्रकाशकों को डीएवीपी में दर नवीनीकरण (Rate Renewal) में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इस संबंध में जब आरएनआई के एक वरिष्ट अधिकारी से बात की तो जबाब मिला कि आरएनआई ने वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने की अवधि अपने लिए बढ़ाई थी। डीएवीपी को हमे जुलाई तक का डाटा साझा किया है और अब आगे का डाटा अगले वर्ष मई में साझा करेंगे..? जबकि इसी संबंध में डीएवीपी के एक अधिकारी ने बताया कि आरएनआई की जानकारी के अनुसार ही मंत्रालय का अन्य विभाग समाचार पत्रों की स्थिति से अवगत होता है अतः आरएनआई की जानकारी या डाटा सिर्फ उसका नही हो सकता.. 
इन विरोधा भाषी स्थितियों के बाद यही कहा जा सकता है कि शायद जानबूझ कर ये स्थिति पैदा की जा रही है ताकि अधिक से अधिक समाचार पत्रों को डीएवीपी की अनुसूची (Panel) से हटाया जा सके..?

Tags: davpGovernment of IndiaMinistry of Informationnews paperPublisherrni

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