सिस्टम की लेटलतीफी से एक निर्दोष को 15 महीने जेल में रहना पड़ा
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। उदयपुर में सिस्टम की लेटलतीफी के कारण एक निर्दोष को 15 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा, उसे दुष्कर्मी का आरोपी कहा गया, वह कहता रहा कि डीएनए रिपोर्ट जल्द से जल्द मंगवा लो, लेकिन डीएनए रिपोर्ट आयी 15 महीने बाद।
मामला है उदयपुर शहर से सटे नाई थाना क्षेत्र का। 19 सितंबर 2020 को एक 15 वर्षीय किशोरी ने उसके बुआ के बेटे पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और कहा था कि बुआ के बेटे के दुष्कर्म करने से वह गर्भवति हो गयी है। इस पर किशोरी के पिता ने भानजे के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया था।
उदयपुर में पोक्सो केस की विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश भूपेन्द्र कुमार सनाढ्य ने किशोरी के बच्चे की डीएनए रिपोर्ट और कपड़ों से लिए गए सैंपल की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी युवक को बाइज्जत बरी किया है। कोर्ट ने कहा कि किशोरी ने युवक (बुआ के बेटा) पर झूठा आरोप लगा कर वास्तविक अपराधी को बचाने का प्रयास किया है। किशोरी के झूठे आरोप के चलते निर्दोष होते हुए भी युवक को 15 महीने जेल में रहना पड़ा। इस मामले में युवक की तरफ से वकील दिलीप नागदा ने कोर्ट में पैरवी की।
यह था पूरा मामला
19 सितंबर को किशोरी के पिता ने नाई थाने में रिपोर्ट दी थी। जिसमें किशोरी के पिता ने आरोप लगाया था कि उसका 30 वर्षीय भाणजा उसकी 15 वर्षीय बेटी के साथ पिछले 6 महीनों से दुष्कर्म कर रहा था, इससे बेटी गर्भवति हो गयी। गर्भ जब 7 महीने का हो गया तो पेट दिखने से परिवार को पता चला कि वह गर्भवति है। किशोरी से पूछा गया तो उसने घर में साथ रहने वाले बुआ के बेटे पर दुष्कर्म का आरोप लगाया और कई बार दुष्कर्म होने से वह वह गर्भवति हो गयी।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले में किशोरी सहित परिवार के सदस्यों के बयान लिए। आरोपी युवक और किशोरी के कपड़ों को एफएसएल रिपोर्ट के लिए भेजा और किशोरी ने जब एक शिशु का जन्म दिया, तो बच्चे का डीएनए टेस्ट के सैंपल भी एफएसएल कार्यालय भेजे गए।
पुलिस ने बयानों के आधार पर युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में 15 महीने लग गए। 15 महीने बाद आयी डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि गिरफ्तार हुआ युवक किशोरी के बच्चे का पिता नहीं है, साथ ही एफएसएल रिपोर्ट में युवक द्वारा किशोरी के साथ दुष्कर्म करने की पुष्टि नहीं हुई। इन रिपोर्ट के आने के बाद कोर्ट ने युवक को बाइज्जत बरी कर दिया।
सिस्टम पर सवाल
इस केस ने सिस्टम पर भी सवाल खड़े किए हैं। निर्दोष युवक को 15 महीने जेल में रहना पड़ा, इसके लिए सिस्टम भी उतना ही दोषी है, जितनी झूठा आरोप लगाने वाली किशोरी। सिस्टम की लेटलतीफी ने ऐसे संवेदनशील मामले में डीएनए रिपोर्ट देने में 15 महीने लगा दिए। अगर एफएसएल रिपोर्ट और डीएनए रिपोर्ट समय पर आ जाती तो शायद निर्दोष को 15 महीने जेल में नहीं रहना पड़ता।