देवेंद्र शर्मा, उदयपुर(एआर लाइव न्यूज)। भाजयुमो शहर जिला की जिस टीम को आम तौर पर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया पार्टी का हरावल दस्ता (किसी भी मोर्चे पर सबसे आगे रहने वाली टुकड़ी) कहते रहते हैं, क्या वह हरावल दस्ता अब गैंगवार की राह पर अग्रसर है?। क्या कटारिया और शहर भाजपा की युवा टीम खूनी संघर्ष की पटकथा लिखने लगी है?। क्या युवा मोर्चा की टीम पर भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली की कमान ढ़ीली पड़ चुकी है?।
भुपालपुरा क्षेत्र में गुरुवार को शहर के भाजपा युवा मोर्चा के शहर जिलाध्यक्ष सन्नी पोखरना और उसके कुछ साथियों द्वारा तलवारों से युवा मोर्चा के ही शहर जिला महामंत्री हिमांशु बागड़ी और भाजपा के शहर जिला मंत्री गजेंद्र भंडारी पर किए गए हमले से कुछ ऐसे ही सवाल खड़े हो रहे है।
क्या इस हरावल दस्ते में कटारिया का डर भी नहीं रहा?
गुरुवार को जो कुछ हुआ उसे सामान्य झगड़ा नहीं कह सकते। यह सीधे सीधे खूनी संघर्ष की एक झलक थी। संघर्ष भी ऐसा था मानों बीच बाजार गैंगवार हो रही हो। सबसे पहला सवाल तो यह उठ रहा है कि क्या भाजपा के इस हरावल दस्ते में कटारिया का डर भी नहीं रहा?, क्या भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली और जिला पदाधिकारियों की युवा मोर्चा पर कमान ढ़ीली पड़ चुकी है?, क्या युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष ने उदयपुर टीम को अपने हाल में छोड़ रखा है?,
क्या युवा मोर्चा की टीम का संगठन हित के कार्य की बजाय वर्चस्व की लड़ाई पर ध्यान ज्यादा है?, क्या भाजपा की युवा टीम संगठन कार्यों की बजाय प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से निजी हित के दूसरे कार्यों की तरफ डायवर्ट हो चुकी है?, क्या युवा मोर्चा संगठन हित से ज्यादा व्यक्तिगत हित को तव्वजों देने लगा है?,क्या युवा मोर्चा की वर्तमान और पुरानी टीम के पदाधिकारी कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की बजाय एक दूसरे को नीचा दिखाने में लग गए है?।
संगठन के लिए मर मिटने का दम्भ भरने वाले आपस में ही मरने मारने पर उतारू?
यह झगड़ा युवा मोर्चा पदाधिकारियों और किसी विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच होता तो उसे राजनीतिक संघर्ष मानकर सुना-अनसुना किया जा सकता था, लेकिन इनका आपसी संघर्ष आने वाले समय में भाजपा शहर जिला और युवा मोर्चा की राजनीति को किस मोड़ पर ले जाकर खड़ा करेगा इस पर हर किसी की नजरें टिक गई है।