उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। यूआईटी से नगर निगम को सौंपी गयीं कॉलोनियों में स्थित 272 भूखंडों के खुर्द-बुर्द का मामला अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यालय तक पहुंच गया है।
मंगलवार को उदयपुर आए एसीबी महानिदेशक (डीजी) बीएल सोनी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि 272 भूखंडों के खुर्द-बुर्द का मामला हमारे ध्यान में आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीबी स्वतः संज्ञान लेकर इसकी जांच की तैयारी कर रहा है। मामले की जांच की अनुमति लेने के लिए नियमानुसार एसीबी मुख्यालय से स्वायत्त शासन विभाग जयपुर को पत्र लिखा जाएगा। वहां से अनुमति मिलते ही एसीबी मामले में जांच शुरू कर देगी।
एसीबी डीजी बीएल सोनी मंगलवार को उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (यूसीसीआई) में उद्यमियों से चर्चात्मक बैठक में शामिल हुए थे। बैठक में जनता सेना संस्थापक रणधीर सिंह भींडर और जनतासेना नेता मांगीलाल जोशी प्रतिनिधि मंडल के साथ पहुंचे और डीजी बीएल सोनी को ज्ञापन देकर निगम के 272 भुखंड खुर्द-बुर्द प्रकरण की जांच की मांग की।
उद्यमियों के साथ हुई परिचर्चात्मक बैठक में एसीबी एडिएसपी उमेश ओझा सहित यूसीसीआई अध्यक्ष कोमल कोठारी, पूर्व अध्यक्ष हंसराज चौधरी, वीरेन्द्र सिरोया, सदस्य जीएस सिसोदिया, सेवानिवृत कर्नल नरेन्द्र सिंह शक्तावत सहित अन्य पदाधिकारी और उद्यमी मौजूद रहे।
15 दिन में वापस कर देते हैं परिवादी की राशि
एक उद्यमी के प्रश्न पर डीजी बीएल सोनी ने बताया कि किसी भी ट्रेप में रिश्वत राशि 1 लाख से कम है तो यह राशि परिवादी को 15 दिन में सरकारी फंड से वापस दिलवा देते हैं। पहले यह राशि परिवादी को केस के दौरान या केस खत्म होने तक कोर्ट के आदेश पर मिलती थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए एसीबी को फंड दिया है। इस फंड से हम परिवादी की राशि वापस कर देते हैं। कोर्ट में जो पुराने मामले चल रहे हैं, उन परिवादियों को ट्रैप राशि वापस दिलवाने के लिए भी एसीबी प्रयास कर रही है।
हाईवे पर वसूली के वीडियो मिलने पर दर्ज किए 4 मामले
डीजी बीएल सोनी ने बताया कि हाईवे पर चेकिंग के बहाने ट्रक चालकों सहित अन्य वाहन चालकों से सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली की शिकायत भी हमारे पास आती हैं। पिछले दिनों हमने वीडियो कैम्पेन शुरू किया था, इसमें कहा था कि अगर वाहन चालक से कोई कर्मचारी अवैध वसूली कर रहा है तो वह वीडियो बनाकर हमें भेजे। हमें 50 से 60 वीडियो मिले। इसमें 4 वीडियो बिलकुल साफ और स्पष्ट थे। इन 4 मामलों में एसीबी ने एफआईआर दर्ज की और उन संबंधित अधिकारी-कर्मचारी पर कार्यवाही भी की।