लकी जैन,(ARLive news)।
देश का हर राज्य और राज्य कर हर जिला प्रशासन अपने स्तर पर हर वो संभव प्रयास कर रहा है, जिससे कोरोना जैसी महामारी से निपटा जा सके। जाहिर सी बात है कि इसके लिए हर जिला प्रशासन को मजबूत स्वास्थ्य सेवाओं के साथ जरूरमंदों तक मदद पहुंचाने के लिए पर्याप्त धन भी होना चाहिए।
हर गांव, शहर का जरूरतमंद नागरिक अपने जिला प्रशासन से ही मदद की उम्मीद रख रहा है, उसे पता है कि इस मुश्किल घड़ी में न तो राज्य सरकार और न ही केन्द्र सरकार की सीधी मदद उस तक पहुंच सकती है।
यहां एक अजीब साइकिल देश में बन रहा है। जनता राज्य सरकार से मदद मांग रही है। राज्य सरकार केन्द्र सरकार से मदद मांग रही है और केन्द्र सरकार वापस पीएम केयर फंड के जरिए जनता से ही मदद मांग रही है।
जनता के लिए जिला प्रशासन राज्य सरकारों से मदद मांग रहे हैं। राज्य सरकारों के पास भी पर्याप्त बजट नहीं है, राजस्थान के हालात तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी 2020 को अपने बजट भाषण में ही स्पष्ट कर दिए थे कि पिछली सरकार 3 लाख 10 हजार करोड़ रूपए का कर्ज छोड़ कर गयी है, साथ ही राज्य सरकारों के पास केन्द्र की तरह राजस्व को बढ़ाने के कोई ज्यादा विकल्प भी नहीं होते हैं। बजट की कमी के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो बार पत्र लिख चुके हैं और निवेदन कर चुके हैं कि केन्द्र ने जो कोरोना को लेकर मदद की घोषणा की है, वह राज्य सरकारों को मुहैया करवायी जाए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को देश को संबोधित करते हुए अपने भाषण में यह कहा था कि कोरोना के खिलाफ जंग में केन्द्र सरकार ने 15 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इससे कोरोना से जुड़ी टेस्टिंग फेसेलिटीज, पीपीई, आईसोलेशन बेड्स, आईसीयू बेड्स, वेंटीलेंटर्स और जरूरी साधनों की संख्या को बढ़ाया जाएगा।
लेकिन सवाल यह है कि केन्द्र सरकार के पास भी पैसा कहां है..? पिछले डेढ़ साल से देश जिस आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, वह किसी से छुपा नहीं हैं। केन्द्र सरकार को आरबीआई से पैसा लेना पड़ा, एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने या एयर इंडिया में विनिवेश के निर्णय करने पड़ चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के 15 हजार करोड़ के प्रावधान की घोषणा के अगले दिन ही “पीएम केयर फंड” लॉन्च कर दिया और अपील की गई कि इसमें ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें।
अब यहां फिर सवाल खड़ा होता है कि अब आम नागरिक सहयोग राशि पीएम केयर फंड में देता है तो वह कब राज्य सरकार के पास जाएगी..? और फिर कब जिला प्रशासन के पास आकर जनता तक पहुंचेगी..? कुछ पता नहीं…!
राजस्थान में गहलोत सरकार के दो बार पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश कर चुके हैं, लेकिन राज्य को केन्द्र से कोई मदद नहीं मिली है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस आपदा की घड़ी में सरकारी कर्मचारियों के वेतन के एक बड़े हिस्से के स्थगन का निर्णय लिया, ताकि इस राशि से इस महामारी का मुकाबला किया जा सके।
तो अब यह सारी स्थितियां स्पष्ट होने के बाद अगर हम बतौर नागरिक वाकैय बिना किसी पॉलीटिकल दिखावा या भक्ति के जरूरतमंदों की और सरकार की मदद करना चाहते हैं, तो पेटीएम पर आए पीएम केयर फंड के नोटिफिकेशन पर ध्यान देने से पहले अपना सहयोग अपने-अपने जिला प्रशासन के राहत कोष में जमा करवाएं। क्योंकि यही वह पहली कड़ी है, जहां जनता मदद की उम्मीद लगाए बैठी।
फिर आपको बड़ी मदद करनी है तो मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाएं, ताकि राज्य सरकार इस धन से स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर सके। जवानों की तरह हॉस्पिटल में दिन-रात जंग लड़ रहे हमारे चिकित्सकों और स्टाफ को आवश्यक मेडिकल किट दे सके।
पीएम केयर फंड में देश के बड़े ग्रुप, उद्योगपतियो ,सेलिब्रिटीज ने बड़ी मात्रा में डोनेट किया है। वैसे भी पीएम मोदी ने भी तो अपने भाषण में यही कहा था कि क्षेत्र के जरूरतमंद व्यक्ति की मदद के लिए हर दिन दो रोटी एक्स्ट्रा बनाएं। शायद उनके कहने का मतलब भी यही था कि पहली मदद अपने मोहल्ले, अपने शहर के जरूरतमंद, के लिए करें।
तो इन तक सबसे पहले मदद जिला प्रशासन ही पहुंच सकता है…!