उदयपुर,(ARLive news)। स्थायी लोक अदालत ने मेट लाइफ इंशोरेंस कंपनी के खिलाफ बुजुर्ग महिला के साथ धोखाधड़ी से एफडी के बजाए इंशोरेंस पॉलिसी करने के मामले में मूल राशि की वापसी सहित जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। स्थायी लोक अदालत ने आदेश दिए हैं कि विपक्षी मेट लाइफ इंशोरेंस कंपनी मूल राशि के 99900 रूपए, इस पर जून 2010 से दस प्रतिशत ब्याज राशि, मानसिक संताप के 10 हजार रूपए प्रार्थिया टेकरी निवासी कमला देवी को देगी और 10 हजार रूपए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोष में अलग से जमा करवाएगी।
अदालत ने आदेश में इंशोरेंस कंपनी को इस प्रकार के कपटपूर्ण कृत्य के लिए हिदायत भी दी है। अदालत ने आदेश में लिखा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के साथ बीमा कंपनी के एजेंट द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की छल व कपटपूर्ण कार्यवाही की पुनरावृति नहीं होनी चाहिए। बीमा कंपनी भी इस प्रकार के कृत्य से अपने व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि की चेष्टा न करें। बीमा कंपनियां कोई भी बीमा पॉलिसी जारी करने से पहले बीमा अधिनियम के प्रावधान और दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करें। स्थायी लोक अदालत में प्रार्थिया की तरफ से वकील रजत मेहता और इंशोरेंस कंपनी की तरफ से कृष्ण सिंह चौहान ने पक्ष रखा।
यह था मामला
उदयपुर की माली कॉलोनी, टेकरी निवासी कमला देवी पत्नी मोडीलाल माली ने 4 जुलाई 2018 को कोर्ट में याचिका लगायी थी। इसमें प्रार्थिया ने बताया था कि वह फूल-माला बेचने का काम करती है। उसने 2010 में मेट लाइफ इंशोरेंस कंपनी के प्रतिनिधि के जरिए कंपनी में 99 हजार 900 सौ रूपए की एक एफडी करवाई थी। प्रतिनिधि ने उसे बताया था कि यहां रूपए निवेश करने पर 7 वर्ष में पैसा ढाई गुना होकर वापस मिलेगा।
लेकिन प्रार्थिया के अनपढ़ और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं होने का फायदा उठाकर इंशोरेंस कंपनी प्रतिनिधि ने प्रार्थिया से 99 हजार 900 सौ रूपए तो ले लिए, लेकिन उसकी एफडी करवाने के बजाए 25 साल की इंशोरेंस पॉलिसी कर दी और पॉलिसी भी ऐसी जिसमें हर वर्ष प्रार्थिया को 99,900 रूपए पॉलिसी के तहत बैंक में जमा करवाने थे।
प्रार्थिया को पॉलिसी की जानकारी नहीं थी। सात वर्षों बाद एफडी के मेच्योर होने का समझकर प्रार्थिया पूर्व बताए पते पर पहुंची तो वहां से इंशोरेंस कंपनी का ब्रांच ऑफिस बंद हो चुका था। पड़ताल करने पर पता चला कि सात वर्ष पूर्व मेट लाइफ इंशोरेंस के प्रतिनिधि ने प्रार्थिया के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उसे स्टोर मालिक बताकर उसके नाम पर इतनी बड़ी पॉलिसी जारी करवा दी थी।
2018 में प्रार्थिया ने कोर्ट में मेट लाइफ इंशोरेंस कंपनी जरिए निदेशक के खिलाफ याचिका लगाकर निवेदन किया था कि उसे मेट लाइफ इंशोरेंस कंपनी से उसकी मूल राशि ब्याज सहित और क्षतिपूर्ति राशि दलवायी जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्थायी लोक अदालत ने इंशोरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया है।
एसओजी में चल रही जांच
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंशोरेंस कंपनी के खिलाफ भी इस प्रकार से ही ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले की जांच चल रही है। यहां भी कई लोगों की एफडी की राशि से बड़ी बड़ी इंशोरेंस पॉलिसी कर दी थी। जिससे लोगों को पैसा डूब गया था। मामला राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में दर्ज हुआ। जहां इसकी बड़े स्तर पर जांच चल रही है।