ARLive news, लोकसभा चुनाव प्रचार वैसे तो जोरो पर था लेकिन फेनी तूफान ने प्रचार की रफ्तार धीमी कर दी। ओडिसा के बाद फेनी प.बंगाल में है। प. बंगाल में चुनाव प्रचार कुछ समय के लिये बंद है। लेकिन जहा फानी नही वहां भाजपा और कांग्रेस समेत सभी दल जोरों से प्रचार में लगे है। इसी जोर में कांग्रेस ने कहा की हमारी सरकार में भी 2-3 नहीं, किन्तु गिन के पूरी 6 सर्जीकल स्ट्राइक हुइ थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका ऐसा जवाब दिया जो कुछ हद तक भारत की सेना का अवमान भी है। प्रधानमंत्रीने कोंग्रेस की खिल्ली उडाते उडाते सेना पर भी सवाल किया की युपीए के राज में सर्जीकल स्ट्राइक हुआ ही नही। अब उसका सबूत देने कौन आगे आयेगा..? वैसा ही ठीक मोदी के दावो के वक्त हुवा की सर्जीकल स्ट्राइक हुवा तो सबूत दे…! मानो सबूत मौसम चल रहा हो। तुम मुझे सबूत दो, मैं तुम्हे सबूत देता हूं..!!
लेकिन क्या ये चुनाव सर्जीकल स्ट्राइक..पाकिस्तान या सबूतो पर हो रहा है क्या..? भारत में हररोद कितने ही लोग खाली पेट सो जाते है, रहने को छत नहीं, पहने को पूरे कपडे नहीं उनकी रोटी-कपडा और मकान के लिये चुनाव कब होंगे…? क्या रोटी-कपडा-मकान चुनाव का अहम मुद्दा नहीं है क्या..? क्यों मुद्दे से भटक रहे है राजनितिक दल और उनके सन्मानिय नेतागण..?
और भी गम है जमाने में महोब्बत के सिवा…और भी मुद्दे है चुनाव में सबूतो के सिवा…! लेकिन उस पर कि बहस या सबूत नहीं। ये सही है की कोंग्रेस ने 55 साल-70 साल राज किया, फिर भी आज भारत गरीब है। एक ही दल को यदि इतने साल शासन करने का मौका मिले तो गरीबी कई हद तक दूर हो सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। “आधी रोटी खायेंगे- इन्दिरा को लायेंगे-गरीबी हटायेंगे…” के नारे देश ने बरसो तक सुने। कितनो ने आधी रोटी खाइ, कितने नेताओ नें मलाइ खाइ ये कहने की आवश्यक्ता नहीं। नेताओ की गरीबी दूर हो गई, नारे बोलने वाले आम आदमी की गरीबी दूर हुई..? मोदीजी कहते है हमने भी गरीबी दूर की, मकान बनवाये, ये किया, वो दिया लेकिन उनकी पार्टी के नेता संबित पात्राने पूरी निर्वाचन क्षेत्र में जिस महिला के घर उनके हाथो का खाना खाया उस गरीब महिला के घर में गैस का चूल्हा नहीं था…! गरीबी एक कलंक है। क्यों नही सरकारें इतनी रोजगारी नहीं दे सकती की कोई भी गरीब न रहे…? क्यों मेंहगाइ पर वार नहीं होता…? क्यों शौचालय की तरह गरीबी दूर करने के लिये मुहिम नहीं चलाई जाती..? अब की बार, मंहगाई पर वार…!
कहते है न जहां चाह वहा राह…सरकार तय करे की मेरे देश का एक भी नागरित भूखे पेट न सोये, कोइ फूटपाथ पर जीवन बसर न करे…जब तक ऐसा नहीं होंगा गरीबी रहेंगी और उस पर राजनिति चलेंगी, उस पर बजट बनते रहेंगे लेकिन गरीबी वही की वही ही रहेंगी..! भारत के चुनाव में पाकिस्तान का क्या काम है…? भारत चाहे को ऐसे 10 पाकिस्तान को अपनी मुठ्टी में रखने की ताकात रखता है लेकिन फिर भी पाकिस्तान के नाम पर डराने की राजनीति कतइ ठीक नही। इन्सान की मूलभूत बुनियादी जरूरतें है-रोटी, कपडा और मकान। उस पर चुनाव हो और वादे हो। और सरकार बनने के बाद अमल भी हो। रहने को घर नहीं….सारा जहां हमारा….ऐसी बाते शायरीयों में सुनने को अच्छी लगती है। मोदीजी, आपने तो गरीबी देखी है,, गरीबी को जिया है, आपने ही कहा था कि आपकी मां ने दुसरे के घर बरतन मांज कर घर का पूरा किया था, तो क्या आप ऐसा प्रण नहीं ले सकते कि मैं एक ऐसे भारत का निर्माण करू, जहां मेरे भारत की एक भी मां किसी के घर का झाडु पोछां नहीं करेंगी…उसे इतनी आय मिले की खुद्दारी से सर उंचा कर के जीये और बडी शान से कहे-मेरा भारत महान..!
सोर्स जीएनएस न्यूज एजेंसी