उदयपुर,(ARLive news)। अंबामाता क्षेत्र में 10 मार्च को सूदखोरों से परेशान पिता-पुत्री की आत्महत्या के मामले में पुलिस नामजद आरोपियों के खिलाफ एक महीने बाद भी साक्ष्य नहीं जुटा पायी है। मामले में नामजद 13 आरोपियों में से अब तक सिर्फ 1 आरोपी हरिदास जी की मगरी निवासी तेजपाल पुत्र खीचुराम यादव ही गिरफ्तार हुआ है, वो भी इसके खिलाफ इस प्रकार के पहले से 6-7 मुकदमें चल रहे हैं।
इस संबंध में जब अनुंसधान अधिकारी प्रशिक्षु आईपीएस शैलेन्द्र सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ नामजद आरोपियों का तो केस से कोई मतलब ही नहीं है। मृतक से किसी ने उसका मकान हड़पा नहीं था और सूदखोरों से प्रताड़ना जैसा मामला भी अभी तक तफ्तीश में नहीं आया है।
पुलिस अधिकारी की तफ्तीश केस को किस ओर लेकर जाएगा, यह तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि क्या पिता-पुत्री की मौत को न्याय मिल पाएगा ?
जबकि इस प्रकरण में पीड़िता ने अपने पति ललित प्रकाश और पुत्री कृतिका की मौत के लिए जिन लोगों को जिम्मेदार ठहराया था, उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। पीड़िता ने एफआईआर में उन लोगों को नामजद किया था, जिन्होंने मृतक ललित प्रकाश को सूदखोरी का शिकार बनाकर, उधार दी राशि से दो गुने हड़पे थे और फिर ललित प्रकाश के मकान की रजिस्ट्री करवा ली थी। इसके बाद भी रूपयों को लेकर ललित प्रकाश को जलील व प्रताड़ित करते रहेे। हद तो तब हुई जब इन आरोपियों ने ललित प्रकाश के घर जाकर उसकी बेटी कृतिका के साथ अभद्रता की और पैसे नहीं देने पर उसे उठा कर ले जाने और बेच देने की धमकी दे डाली। आए दिन की जलालत से परेशान पिता-पुत्री ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली तो मौत को गले लगा लिया। यह सभी तथ्य पीड़िता ने एफआईआर में लिखवाए हैं, इसके बावजूद पुलिस को आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिल रहे हैं।
अनुसंधानकर्ता प्रशिक्षु आईपीएस शैलेन्द्र सिंह से एआर लाइव न्यूज रिपोर्टर की बातचीत
सवाल : पिता-पुत्री आत्महत्या मामले में अब तक सिर्फ एक ही गिरफ्तारी हुई है क्या ?
जवाब : अभी जांच चल रही है। आगे किसी के खिलाफ आरोप बनेगा तो गिरफ्तार करेंगे। केस में पीड़ित ने ऐसे लोगों को भी नामजद आरोपी बनाया है, जिनका केस से कोई मतलब ही नहीं है।
सवाल : अब तक गिरफ्तार हुआ एक आरोपी सूदखोरी से संबंधित था या मृतक के मकान को हड़पने से संबंधित आरोपी था ?
जवाब : जिसको गिरफ्तार किया था, उसने मकान कोई दो लोगों को अलग-अलग बेच दिया था। बाकि मृतक प्रकाश से किसी ने भी मकान हड़पा नहीं था। मकान की बाकायदा रजिस्ट्री हुई है। जिन्होंने खरीदा है, वो भी टीचर है। मृतक कैलाश से हंसी खुशी मर्जी से मकान की रजिस्ट्री करवाई थी, किसी ने भी उससे मकान हड़पा नहीं था।
सवाल : मृतक प्रकाश सूदखोरों के चंगुल में फंसा था और उसे सूदखोर परेशान कर रहे थे, उन आरोपियों का क्या ?
जवाब : अब तक मामले की तफ्तीश में ऐसा कुछ नहीं मिला है। फिर भी मामले की तफ्तीश जारी है।