कोर्ट में एप्लीकेशन लगा दोबारा बयान देने, धारा 164 के तहत पूर्व में हुए बयान एग्जिबिट करने की अपील की और बयान से पूर्व इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान पर लगाया धमकाने का आरोप।
मुंबई,(ARlive news)। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में अहम गवाह और राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर मोहम्मद आजम ने केस के फैंसले से एक दिन पहले फिर पलटी मार दी है। उसने वकील के जरिए ट्रायल कोर्ट में एप्लीकेशन लगवाकर दोबारा बयान देने की मांग कर कहा है कि कोर्ट में सीबीआई के स्पेशल पीपी ने उसके पूर्व में हुए सीआरपीसी की धारा 164 के तहत हुए बयान एग्जिबिट नहीं किए। आजम ने कहा कि गत महीने उसने बयान दबाव में दिए थे, उसे उदयपुर पुलिस द्वारा उसे कस्टडी में टॉरचर किया गया था और बयान में बरी हो चुके नेताओं और अधिकारियों का नाम नहीं लेने का दबाव डाला गया था। आजम ने आरोप लगाया है कि मुंबई ट्रायल कोर्ट में बयान देने के लिए कोर्ट लाए जाने से पहले केस में ट्रायल फेस कर रहे इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान एक काले रंग की एसयूवीे में आए थे और बयान में अधिकारियों का नाम नहीं लेने का दबाव डालकर उसे धमकाया था।
केस में 21 दिसंबर को फाइनल फैंसला आना है, वहीं 20 दिसंबर गुरूवार को ट्रायल कोर्ट में मोहम्मद आजम और गुजरात के एक गवाह महेन्द्र सिंह झाला दोनों की दोबारा बयान देने की याचिका पर सुनवाई हुई। आजम के वकील ने अब्दुल रहमान की जमानत खारिज करने की कोर्ट से अपील की और कोर्ट में कहा कि इन्होंने गवाह को बयान से पूर्व धमकाया था, ऐसे में इनकी जमानत खारिज की जाए। बचाव में अब्दुल रहमान के वकील वहाव खान ने कोर्ट में दलील दी कि मोहम्मद आजम ने गत महीने ट्रायल कोर्ट में जब बयान दिए थे, उस समय या इसके बाद उदयपुर कोर्ट में भी कहीं भी यह बात नहीं कही कि उसे बयान से पहले मेरे मुवक्किल ने धमकाया था। वहाव खान ने कोर्ट में दलील दी कि फैंसले से एक दिन पहले आजम का यह आरोप और याचिका फैंसले को प्रभावित करने की नियत से लगाई गई है, ऐसे में बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट से निवेदन किया कि इनकी याचिका को खारिज कर इनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की जाए।
आजम ने याचिका में अपने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत हुए बयानों का हवाला देते हुए बताया है कि सोहराबुद्दीन के जरिए गुजरात आईपीएस डीजी बंजारा और अभय चूडास्मा अवैध वसूलियां किया करते थे। अवैध वसूली का 70 प्रतिशत हिस्सा चूडास्मा के पास जाता था और 30 प्रतिषत हिस्सा सोहराबुद्दीन रखता था। पॉपुलर बिल्डर के ऑफिस पर फायरिंग भी सोहराबुद्दीन से अभय चूडास्मा ने एक्सटॉर्शन के लिए करवाई थी। लेकिन बाद में जब सोहराबुद्दीन इन अधिकारियों के खिलाफ गया तो गुजरात और राजस्थान के राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों ने षडयंत्र कर उसे एनकाउंटर में मार दिया। सोहराबुद्दीन की हत्या के पीछे न सिर्फ गुजरात बल्कि राजस्थान के राजनेता गुलाब चंद कटारिया का भी दबाव था। सोहराबुद्दीन ने आईपीएस अधिकारी डीजी बंजारा और अभय चूडास्मा के खिलाफ जाकर जब आरके मार्बल के मालिक और संगम टेक्सटाइल के मालिक को एक्सटॉर्शन के लिए धमकी दी तो पॉलिटिकल प्रेशर में गुजरात और राजस्थान पुलिस ने मिलकर सोहराबुद्दीन को फर्जी एनकाउंटर में मार दिया। सोहराबुद्दीन और कौसरबी की हत्या का तुलसी गवाह था, इसलिए एक साल बाद तुलसी को भी फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। आजम ने याचिका में कोर्ट से उसके सीआरपीसी की धारा 164 के तहत हुए बयान एग्जिबिट करवाने का निवेदन किया है।
इनके भी बयान करवाए जाएं
आजम ने कोर्ट में लगाई याचिका में निवेदन किया है कि केस के पहले मुख्य अनुसंधान अधिकारी सीआईडी के तत्कालीन डीआईजी रजनीश रॉय, पॉपुलर बिल्डर के मालिक रमन भाई और दशरथ भाई पटेल के बयान करवाए जाने चाहिए, गौरतलब है कि इन्हें केस में सीबीआई ने समन तक नहीं किया है। गौरतलब है कि रजनीश रॉय ने ही केस का अनुसंधान कर सबसे पहले तीनों आईपीएस डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन को केस में गिरफ्तार किया था।