सोहराबुद्दिन-तुलसी एनकाउंटर केस में मंगलवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में उदयपुर के दो कांस्टेबल उम्मेद सिंह, बालूराम, जीआरपी हिम्मतनगर एएसआई सना भाई और तत्कालीन तहसीलदार व एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट बीडी सोलंकी के बयान हुए।
मजिस्ट्रेट ने कोर्ट को बताया कि संदेश भेजा गया था कि पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गयी है। शव मोर्चरी है। इनक़्वेश बनानी हैै। इस पर मैं सिविल हॉस्पिटल पहुुँचा। वहाँ जो एटीएस ऑफिसर मिले वे एमएल परमार थे। उन्होंने शव दिखाया। शव पर डेथ स्लिप लगी थी, जिस पर सोहराबुद्दिन शेख नाम लिखा था। पंचों की मौजूदगी में शव का निरीक्षण कर इनक़्वेश रिपोर्ट बनाई और पंचनामे पर साइन किये। इनक़्वेश रिपोर्ट की एक कॉपी एमएल परमार को भी दी थी और सोहराबुद्दिन के कपड़े लेने को कहा था।
किसी दूसरे काम मे व्यस्त होने से अहमदाबाद नहीं गया था
उदयपुर के सूरजपोल थाने के तत्कालीन कांस्टेबल उम्मेद सिंह और पुलिस लाइन कांस्टेबल बालू राम के बयान हुए। उम्मेद सिंह ने कहा 2006 में उसकी तुलसी को अहमदाबाद पेशी पर ले जाने की ड्यूटी लगी थी। रेलवे वारन्ट भी बन गया था, लेकिन बाद में जरूरी काम होने से सीआई हिम्मत सिंह ने मेरी ड्यूटी उसमें लगा दी थी और मैं बन्दी को पेशी पर ले जाने वाली टीम में नहीं गया था। बालू राम ने बताया कि वह कभी भी 2006 में बंदियों को पेशियों पर लेकर नहीं गया है।
तुलसी के भागने की सूचना पर मैं मौके पर पहुंचा था। जीआरपी के हिम्मत नगर के एएसआई और चौकी इंचार्ज सना भाई ने बताया कि 27 दिसम्बर 2006 को चौकी पर ट्रेन से एक कैदी के भागने की सूचना आई थी। कैदी को उदयपुर पुलिस अहमदाबाद में पेशी करवाकर ट्रैन से उदयपुर लौट रही थी। कैदी के भागने की सूचना पर तत्कालीन थानाधिकारी जाधव के साथ मैं मौके पर गया था। वहाँ तुलसी से सम्बंधित 1 मोबाइल भी ट्रैक पर मिला था। मौके की फर्द-जब्ती मेरे सामने बनाई गई थी।