उदयपुर. सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में मुंबई हाईकोर्ट में सोमवार को कांस्टेबल दलपत सिंह सहित बरी हुए तीन आईपीएस दिनेश एनएम, डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन, एक डीएसपी नरेंद्र अमीन से संबंधित पांच अर्जियों पर सुनवाई पूरी हुई। हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
दोनों एनकाउंटर में आरोपी बनाए गए आईपीएस दिनेश एमएन, डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन, डीएसपी नरेन्द्र अमीन, कांस्टेबल दलपत सिंह, गुजरात, हैदराबाद के आईपीएस, बीजेपी नेता और रसूखदार व्यापारियों सहित 15 आरोपी ट्रायल शुरू होने से पहले ही सेशन कोर्ट से बरी हो चुके हैं।
इनमें सीबीआई ने सिर्फ डीएसपी नरेन्द्र अमीन और कांस्टेबल दलपत सिंह के बरी होने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं आईपीएस दिनेश, बंजारा और पांडियन के बरी हाेने के आदेश को सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। डेढ़ वर्ष से ये पांचों अर्जियां हाईकोर्ट में पेंडिंग थीं। चार जुलाई से इन पर सुनवाई शुरू हुई और नियमित सुनवाई कर हाईकोर्ट ने 13 दिन में ही सोमवार को सभी एप्लीकेशन पर सुनवाई पूरी कर ली।
एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने कहा- तुलसी के सीने पर छह-सात घाव थे
मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट एसके वंकर के बयान हुए। उन्होंने तुलसी की लाश की इनक्वैश रिपोर्ट बनाई थी। मजिस्ट्रेट ने कोर्ट को बताया कि पुलिस के बुलाने पर वह अंबाजी में हॉस्पिटल गए थे, जहां तुलसी की लाश का निरीक्षण कर इनक्वेश रिपोर्ट बनाई थी। तुलसी के सीने पर छह-सात इंजरी थीं। सभी इंजरी के बारे में रिपोर्ट में लिखा था। उसकी जेब से कुछ कार्ट्रिज, सिगरेट और माचिस मिली थी। इसकी जानकारी भी इनक्वेश रिपोर्ट में लिखी थी। मजिस्ट्रेट के अलावा दो अन्य गवाहों के बयान भी होने थे, लेकिन उनका निधन हो चुका है।