वकील ने कहा मैंने तुलसी की एप्लीकेशन नहीं देखी, वकील के मुंशी ने कहा वकील साब ने एप्लीकेशन खुद टाइप करवाई थी, कौन सही…
वकील ने कहा मैंने तुलसी की एप्लीकेशन नहीं देखी, वकील के मुंशी ने कहा वकील साब ने एप्लीकेशन खुद टाइप करवाई थी, कौन सही…
मुम्बई. मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस की सुनवाई के दौरान बुधवार को उज्जैन के वकील सुशील कुमार तिवाड़ी और उनके मुंशी देवेन्द्र शर्मा के हुए बयानों में विरोधाभास रहा। सुशील ने कहा उन्हें तुलसी की एप्लीकेशन में क्या लिखा था, इसकी जानकारी नहीं थी, वहीं मुंशी ने कहा कि तिवाड़ी ने ही एप्लीकेशन टाइप करवाई थी।
कोर्ट में वकील सुशील ने बताया कि उन्होंने तुलसी का कोई केस कभी नहीं लड़ा। तुलसी उनके मुंशी देवेन्द्र का मित्र था और उसी के जरिए वह उससे मिले थे। पेशी पर तुलसी को उज्जैन लाए थे, तब उसने बंद लिफाफे दिए थे और कहा था कि जेल में विरोधी गुट से झगड़ा चल रहा है और अधिकारी सुन नहीं रहे हैं। इसलिए यह लिफाफे भेजने हैं। तुलसी पढ़ा-लिखा नहीं था। उसके कहने पर मैंने उदयपुर कलेक्टर सहित अन्य कार्यालय का पता उसके बंद लिफाफों पर लिखे थे और जूनियर ने लिफाफे पोस्ट करवा दिए थे। लिफाफों में रखी एप्लीकेशन में क्या लिखा था, इस बारे में जानकारी नहीं थी। सीबीआई ने उसे होस्टाइल घोषित कर दिया।
इसके विपरीत वकील के मुंशी देवेन्द्र ने कोर्ट को बताया कि 2006 में एनएसए के तहत उज्जैन जेल में बंद रहा था। वहां सोहराबुद्दीन, तुलसी से मित्रता हुई थी। जेल से बाहर आने के बाद मुंशी का काम करने लगा और वकील सुशील कुमार का मुंशी बन गया। तुलसी पेशी पर जब उज्जैन लाया गया तब उसने बताया था कि उसे उदयपुर जेल में परेशान कर रहे हैं और शिकायत करनी है। इस पर मैंने ही वकील सुशील कुमार से उसे मिलवाया था। उन्होंने खुद पूरी शिकायत टाइप करवाई थी और उसे हमने खुद डाकघर जाकर पोस्ट किया था।
कोर्ट में तत्कालीन डबोक एसएचओ और वर्तमान डीएसपी पर्वत सिंह के बयान भी होने थे। सीबीआई ने इन बयानों को ड्रॉप करते हुए कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई कि अभी पर्बत सिहं के बयानों की जरूरत नहीं है। पुलिसकर्मी फतह सिंह के बयान भी होने थे, लेकिन बीमारी के चलते वह काेर्ट में उपस्थित नहीं हो सके।
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