इंदौर के राजवाड़ा मुख्य गेट के पास ओटले पर माता-पिता के बीच सोई चार माह की दुधमुंही बच्ची के अपहरण, ज्यादती और हत्या के मामले कोर्ट ने अारोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की जा सुनाई है। शनिवार को आरोपी नवीन को पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लेकर पहुंची, जहां उसे कोर्ट रूम नंबर 55 में पेश किया गया। सुरक्षा की दृष्टि से कोर्ट रूम के भीतर मीडियाकर्मियों को जाने पर रोक लगा दी गई। जज ने 7 दिन तक सात-सात घंटे सिर्फ इसी केस को सुना और 21 दिन में सुनवाई पूरी होने के बाद 23वें दिन फैसला सुना दिया। बता दें कि नया कानून बनने के बाद यह पहला मामला है, जहां अारोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
अंतिम बहस के कुछ अंश…
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गुरुवार को अंतिम बहस में अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से आरोपी को मृत्युदंड देने की गुहार करते हुए कहा- 29 गवाहों के साक्ष्यों से यह साबित है कि घटना विरल से विरलतम है। अपर सत्र न्यायाधीश वर्षा शर्मा के समक्ष मात्र सात दिन चली ट्रायल में कोर्ट ने बचाव पक्ष को गुरुवार को साक्ष्य पेश करने को कहा था। हालांकि साक्ष्य पेश नहीं किए गए। इस पर कोर्ट ने मध्यावकाश बाद अंतिम तर्क की मंजूरी दी थी।
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राज्य शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक मोहम्मद अकरम शेख ने अंतिम तर्क में कहा कि आरोपी नवीन उर्फ अजय गड़के की पत्नी रेखा मृत बच्ची के पिता की मौसी है। आरोपी ने पत्नी को छोड़ रखा है। आरोपी बच्ची की मां के पास आकर कहता था कि वह पत्नी से समझौता करवा दे। बच्ची की मां ने इसके लिए मना कर दिया था।
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19 अप्रैल 2018 की रात में आरोपी शराब लेकर बच्ची की नानी को पिलाने पहुंचा था। मना करने पर आरोपी बोतल फेंककर चला गया था। 20 अप्रैल की तड़के चार बजे वह माता-पिता के पास सोई बच्ची को उठाकर श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग के तलघर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे ऊपर से फेंक दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई थी।
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विशेष लोक अभियोजक शेख ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट में प्रमाणित हुआ है कि आरोपी के जब्त कपड़े, जूते व साइकिल पर जो खून पाया गया, वह बच्ची का था। ट्रायल में डाॅक्टरों ने बयान देकर प्रमाणित किया कि बच्ची पर लैंगिक हमला हुआ था। सीसीटीवी फुटेज में आरोपी बच्ची को लेकर जाते दिखाई दिया। बच्ची की मां और आरोपी की पत्नी ने भी फुटेज में उसे देखकर पहचाना कि यही आरोपी है। शेख ने कोर्ट में कहा कि 29 गवाहों के बयान से प्रमाणित हुआ है कि यह घटना विरल से विरलतम (रेअर टू रेअरेस्ट) है।
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अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि जिस तरह शरीर के किसी अंग में सड़ाव लगने से हुए नासूर को शरीर बचाने के लिए काट देना आवश्यक होता है, उसी तरह आरोपी समाज के लिए नासूर है जिसे समाज से हटाना आवश्यक है। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से गुहार करते हुए कहा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाए। शेख ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामलों में फांसी की सजा संबंधी सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश किए जिनमें फांसी की सजा की पुष्टि की गई है
- घटना 19-20 अप्रैल की मध्य रात की है। इसकी संवेदनशीलता देखते हुए डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
- कलेक्टर निशांत वरवड़े ने शासन की ओर से पैरवी के लिए जिला लोक अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया।
- एसआईटी के प्रमुख और थाना प्रभारी शिवपालसिंह कुशवाह ने अनुसंधान कर सातवें दिन 27 अप्रैल को चालान पेश कर दिया।
- 28 अप्रैल को अभियोजन पक्ष ने 34 गवाहों की सूची के साथ ट्रायल प्रोग्राम कोर्ट में पेश किया।
- कोर्ट ने 1 मई से ट्रायल (गवाहों के साक्ष्य) शुरू किए और मात्र सात दिन में 8 मई को 29 गवाहों के साक्ष्य पूरे कर ट्रायल पूरी की, जो संभवत: इतने गवाहों के बयान की सबसे कम अवधि है।
- पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए ब्लड के सैंपल सागर स्थित शासकीय एफएसएल लेबोरेटरी भेजे थे। वहां जांच प्राथमिकता से हुई और मात्र सात दिन में जांच रिपोर्ट भेज दी। बंद लिफाफे में आई जांच रिपोर्ट कोर्ट में खुली तो उसमें हत्या की पुष्टि हुई।
- 9 मई को आरोपी के बयान कोर्ट में हुए जिसमें कोर्ट ने उससे 80 सवाल पूछे थे। सभी सवालों का उत्तर देते हुए आरोपी ने कहा कि उसने घटना नहीं की।
- 10 मई को दोनों पक्षों के अंतिम तर्क हुए और कोर्ट ने फैसले के लिए 12 मई तय कर दी।