अंतिम बहस में राजस्थान टीम के वकीलों ने रखी दलील।
पांडियन के गनमैन, असिस्टेंट ने कहा अभियोजन पक्ष की खामियों के कारण हमने ट्रायल भुगती है।
मुंबई,(ARlive news)। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस पर मंगलवार को भी मुंबई सीबीआई स्पेशल कोर्ट में अंतिम बहस जारी रही। मंगलवार को राजस्थान टीम के इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान, एसआई हिमांशु सिंह और श्याम सिंह के वकीलों ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन के साथ न तो अहमदाबाद गए थे और न ही एनकाउंटर में शामिल थे। वकीलों ने कहा मेरे मुवक्किल पर लगाए गए आरोप के कोई साक्ष्य या गवाह नहीं हैं। इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान की ओर से वकील वहाव खान और एसआई हिमांशु सिंह, श्याम सिंह की ओर से वकील मिहिर घीवाला ने दलीलें पेश की।
वकील वहाव खान ने अब्दुल रहमान की ओर से कोर्ट में कहा कि सोहराबुद्दीन केस में दर्ज एफआईआर ही उनकी नहीं है। वहाव खान ने कहा कि यह एफआईआर अब्दुल रहमान ने नहीं दी थी और अनुसंधान एजेंसी ने इस एफआईआर के संबंध में कोई जांच ही नहीं की। यह पड़ताल कभी नहीं की गई कि एफआईआर या रिपोर्ट किसने डिक्टेट की थी, किसने लिखी थी, कौन इसे थाने पर लेकर आया था और इस पर किसके हस्ताक्षर हैं। वकील वहाव खान और मिहिर घीवाला ने कोर्ट में दलील दी कि सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया है कि एनकाउंटर स्पॉट पर मेरे मुवक्किल ने गोली चलाई थी, लेकिन मौके से बरामद गोली मेरे मुवक्किल को अलॉट हुई रिवॉल्वर से चली थी, इस बात की कोई बैलेस्टिक या एफएसएल जांच नहीं करवाई। दोनों ही वकीलों ने आईपीएस दिनेश एमएन के तत्कालीन ड्राइवर पूरणमल के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि गवाह ने भी यह बयान दिए हैं कि राजस्थान से गुजरात जाते समय दिनेश एमएन के साथ गाड़ी में कोई और नहीं था।
ऐसे में हमारे मुवक्किल न तो अहमदाबाद आए थे, न ही उन्होंने एनकाउंटर किया और न ही उन्होंने कोई एफआईआर दी थी। अभियोजन पक्ष ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ जो भी संबंधित गवाह नाथूबा जडेजा, भाईलाल राठौड़, मजीद मोहम्मद सहित अन्य पेश किए थे, वे सभी होस्टाइल हो चुके हैं।
तुलसी एनकाउंटर को लेकर अब्दुल रहमान के वकील वहाव खान ने दलील पेश की कि मेरा मुवक्किल 20 से अधिक पुलिस कर्मियों की उस एस्कॉर्ट पार्टी में शामिल था, जो तुलसी को दो अलग-अलग पेशी पर अहमदाबाद लेकर गई थी, दोनों ही बार तुलसी को टीम ने सकुशल वापस जेल में जमा करवा दिया था। ऐसे में तुलसी के एनकाउंटर या उसके भागने से मेरे मुवक्किल का कोई संबंध नहीं है।
वहाव खान ने जेलर रामअवतार के कोर्ट में हुए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष का यह दावा कि मेरे मुवक्किल ने तुलसी के पास एक मोबाइल प्लांट करने का प्रयास किया था और उस मोबाइल का इंटरसेप्शन तत्कालीन सूरजपोल इंस्पेक्टर हिम्मत सिंह को दिया था, पूरी तरह झूठा है। क्यों कि जेलर ने खुद यह बयान दिए है कि जेल में इस तरह से मोबाइल प्लांट करना संभव नहीं है। इसके अलावा किसी भी मोबाइल नंबर को इंटरसेप्शन पर लेने की अनुमति आईजी गृह विभाग से प्राप्त करते हैं। ऐसे में मेरे मुवक्किल को सोहराबुद्दीन-तुलसी दोनों ही एनकाउंटर से कोई संबंध नहीं है।
सीबीआई ने चार्जशीट नहीं किया फिर भी भुगत रहे ट्रायल
आईपीएस राजकुमार पांडियन के गनमैन संतराम और असिस्टेंट अजय परमार के वकील फखरूद्दीन ने कोर्ट में दलील पेश की कि अभियोजन पक्ष की खामियों और दोहरी नीति के कारण मेरे मुवक्किल को ट्रायल भुगतनी पड़ रही है। मेरे मुवक्किल का इस केस से कोई संबंध नहीं है। खुद सीबीआई के मुख्य अनुसंधान अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इन दोनों को चार्जशीट नहीं किया है और चार्जशीट में स्पष्ट लिखा है कि इनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाए गए हैं। इसके बावजूद सीबीआई ने न सिर्फ दोहरी नीति अपनाते हुए इनके खिलाफ चार्जशीट पेश की, बल्कि जब इन दोनों ने डिस्चार्ज एप्लीकेशन लगाई थी, तो उसका भी अभियोजन पक्ष ने विरोध किया था।
लोक अभियोजक बीपी राजू ने इन दोनों के वकील फखरूद्दीन की दलील पर जवाब दिया कि संतराम ने एनकाउंटर स्वीकार किया था, तो वकील फखरूद्दीन ने जॉली एलएलबी टू मूवी का हवाला देते हुए कहा कि जब उस मूवि में लोगों को पता है कि आरोपी के बयान की मान्यता नहीं होने से वह ग्राह्य नहीं होता है, तो इस कोर्ट में तो सभी कानून के जानकार बैठे हैं। फखरूद्दीन ने अभियोजन पक्ष पर खुलकर आरोप लगाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की खामियों के कारण मेरे मुवक्किल आज कोर्ट में ट्रायल फेस कर रहे हैं। संतराम और अजय परमार विभाग में उस पॉजीशन पर है, जहां वे संबंधित बॉस से अनुमति लिए बगैर छुट्टी पर तक नहीं जा सकते, तो वे हैदराबाद जाकर किसी के अपहरण में कैसे शामिल हो सकते हैं।
गवाह को बना दिया आरोपी, इससे कोई लेना-देना नहीं
आरोपी राजू जीरावाला के वकील ने दलील पेश की कि राजू जीरावाला को पहले गवाह बनाया गया था और बाद में सीबीआई ने इन्हें आरोपी बना दिया। इस पूरे केस, इसके षडयंत्र से मेरे मुवक्किल का कोई संबंध नहीं है। वहीं गुजरात के पुलिस इंस्पेक्टर एनवी चौहान और वीए राठौड़ के वकील ने दलील पेश की कि कौसरबी की हत्या के बाद शव को इलोल ले जाकर जलाने से संबंधित घटनाक्रम या केस से मेरे मुवक्किल का कोई संबंध नहीं है। इस घटनाक्रम में मेरे मुवक्किल से संबंधित क्रेन मालिक, टेंपो मालिक, टेंपो ड्राइवर सहित सभी गवाह होस्टाइल हो चुके हैं।