(जी.एन.एस), नई दिल्ली. राजस्थान सहित 4 राज्यो में होने वाले आगामी चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों से संपर्क साध लिया है। अब कोई भी पार्टी और उम्मीदवार वोटिंग से 48 घण्टे पहले तक ही सोशल मीडिया से प्रचार कर सकेगा। इसके बाद प्रचार बन्द कर दिया जाएगा।
चुनाव आयोग ने बताया है कि सोशल मीडिया कंपनियों जैसे की ट्विटर और फेसबुक ने आश्वासन दिया है कि प्रचार के दौरान चुनाव को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज के लिए वे अपने प्लेफॉर्म को इस्तेमाल नहीं होने देंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि कर्नाटक चुनाव के दौरान इसका परीक्षण भी किया गया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान इसे लागू किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि कि चुनाव को सोशल मीडिया से बचाने के लिए इलेक्शन कमीशन की एक समिति ने ट्विटर, फेसबुक और गूगल के रिजनल और लोकल चीफ को बुलाया था और उनसे ये सवाल किया गया था कि चुनावों की शुचिता के लिए वे क्या कर सकते हैं। जिसके बाद उन सभी सने प्रतिबद्धता जताई है कि प्रचार अवधि के दौरान और मतदान समाप्त होने से पहले के 48 घंटे के दौरान वे ऐसी कोई चीज नहीं होने देंगे जो इन प्लेटफॉर्म्स पर विपरित असर डालती हो।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार से जोड़ने और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए उपाय तेज करने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के बारे में बताया कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय को कोर्ट के दोनों फैसलों का अध्ययन करने के लिए कहा गया है। वोटर आईडी को आधार से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में होने की वजह से इस प्रोजेक्ट को रोकना पड़ा था। अब फैसले के अध्ययन के बाद कोर्ट के आदेशानुसार इसे फिर से शुरू किया जा सकेगा।