आरोपी की माँ ने निभाया औरत होने का फर्ज
कोर्ट ने लापरवाह थानेदार और डॉक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए
उदयपुर में अपर सेशन न्यायालय, सलूंबर के न्यायाधीश तिरुपति कुमार गुप्ता ने पत्नी की हत्या के दोषी जांबुआ घाटा, सेमारी निवासी देवीलाल उर्फ देवा पुत्र धना कलासुआ मीणा को आजीवन कारावास और 26 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
सजा दिलवाने में आरोपी देवा की मां मोगी के बयान बेहद महत्वपूर्ण रहे। मामले की चश्मदीद गवाह मोगी ने कोर्ट में बयान देते समय बताया था कि मुझे ऐसे पुत्र की आवश्यकता नहीं है। जो अपनी पत्नी का नहीं हुआ, वह मेरा भी नहीं हो सकता है। मेरे घर में इसकी कोई जरूरत नहीं है। इसे कड़ी से कड़ी सजा मिले।
मामले के अनुसार 27 मई 2015 की रात देवा अपनी पत्नी खेमी के साथ मारपीट कर रहा था। देवा की मां मोगी ने बीच-बचाव का प्रयास किया तो उसके साथ भी मारपीट की और घायल कर दिया। देवा ने पत्नी खेमी के सिर पर कुल्हाड़ी मारकर उसकी हत्या कर दी थी। पड़ोस में रहने वाला दूसरा बेटा मेघराज उर्फ मेघा मां मोगी और भाभी खेमी को हास्पिटल लेकर गया। इलाज के दौरान खेमी की मौत हो गई थी। मेघराज की रिपोर्ट में सेमारी थाने में हत्या, मारपीट के आरोप में देवा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
पुलिस ने देवा को गिरफ्तार कर अनुसंधान शुरू किया। मृतका और देवा के घटना के समय पहने कपड़े जब्त किए। मौके से मिट्टी सहित अन्य नमूने उठाए। आरोपी से कुल्हाड़ी जब्त की और इसकी एफएसएल जांच करवाई। जुर्म पाए जाने पर देवा के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक नाहर सिंह चूंडावत ने 16 गवाह और 27 साक्ष्य-दस्तावेज कोर्ट में पेश किए।
दोनों पक्ष को सुनने के बाद न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश तिरूपति कुमार गुप्ता ने आरोपी देवीलाल उर्फ देवा को आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास, 25 हजार रुपए जुर्माना और धारा 323 के तहत एक वर्ष की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की यह राशि मृतका के विधिक वारिस (पुत्र-पुत्रियों) को दिलवाई जाएगी।
अनुसंधान में थानेदार और डॉक्टर ने बरती गंभीर लापरवाही
कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि प्रकरण में उस समय मेडिकल करने वाले डॉ. नरेश कुमार मेघवाल और सेमारी थानेदार हजारीलाल और तत्कालीन एसपी ने अनुसंधान में लापरवाहियां और चूक की। जिम्मेदार पदों पर तैनात रहते हुए कर्तव्यों की अनदेखी की इनसे अपेक्षा नहीं की जा सकती है। ऐसे में इस आदेश की कॉपी संबंधित विभागों के सचिवालय, कार्मिक विभाग को भेजी जाए। संबंधित विभाग इन चिकित्सक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर न्यायालय को अवगत कराएंगे। जानकारी के अनुसार इन्होंने महिला की मृत्यु से पहले हुए उसके मेडिकल, माैके की एफएसएल जांच कराने संबंधित कुछ तकनीकी चूक और लापरवाहियां की थीं।
पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत मिल सकती है क्षतिपूर्ति राशि
कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि यह मामला पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का भी उचित मामला है। ऐसे में पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत मामले को कंसीडर करने और उचित व नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि दिलवाने के लिए इस फैसले की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव को भिजवाई जाए।