नई दिल्ली,(ARlive news)। बेरोजगारी को लेकर पहले से केंद्र की मोदी सरकार विवादों में चल रही है। कल बजट रजू होने वाला है और वैसे में बेरोजगारी को लेकर एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। जिसको लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हुई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे ने भारत में बेरोज़गारी की दर 2017-18 में 6.1 फीसदी रिकॉर्ड की है जो कि पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है। इसी हफ्ते नेशनल स्टेटिस्टिकल कमीशन के दो सदस्यों ने कथित रूप से सरकार द्वारा रिपोर्ट को पब्लिश न किए जाने के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। यह रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
मोदी सरकार द्वारा 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद बेरोज़गारी को लेकर यह पहला सर्वे है। इस सर्वे के लिए डेटा जुलाई 2017 से जन 2018 के बीच लिए गए हैं। जिन डाक्युमेंट को रिव्यू किया गया उसके आधार पर पता चला कि 1972-73 के बाद से यह अब तक की बेरोज़गारी की सबसे ज्यादा दर है। सर्वे के अनुसार, यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2011-12 में बेरोज़गारी की दर 2.2 फीसदी थी। रिपोर्ट से पता चलता है कि युवाओं में बेरोज़गारी की दर सबसे ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों में 15 से 29 साल के बीच के लोगों में बेरोज़गार की दर 2011-12 से बढ़कर 17.4 हो गई है।
जबकि ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में बेरोज़गारी की दर 4.8 फीसदी से बढ़कर 13.6 फीसदी हो गई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने NSSO की जिस रिपोर्ट को देखने का दावा किया है उसके मुताबिक युवा अब कृषि क्षेत्र में काम करने के बजाय बाहर जाकर काम की तलाश कर रहे हैं क्योंकि कृषि के काम में उन्हें वाजिब मेहनताना नहीं मिल पा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि शिक्षित लोगों में बेरोजगारी की दर भी तेजी से बढ़ी है। 2004-05 के मुकाबले 2017-18 में इस मामले में ग्राफ ऊपर गया है। 2004-05 में शिक्षित महिलाओं में बेरोजगारी की दर 15.2 फीसदी थी जो 2017-18 में बढ़कर 17.3 फीसदी पहुंच गई है। इसी तरह शहरों के शिक्षित पुरुषों में भी बेरोजगारी की दर 2011-12 के 3.5-4.4 फीसदी से बढ़कर 2017-18 में 10.5 फीसदी पहुंच गई है।
सरकार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा था कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिए तिमाही आंकड़ों का प्रसंस्करण कर रहा है। इसके बाद रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत के मजबूत जनसांख्यिकीय लाभ और करीब 93 फीसदी असंगठित क्षेत्र के कार्यबल को देखते हुए रोजगार के मानकों को प्राशासनिक सांख्यिकी के जरिए बेहतर करना जरूरी हो जाता है। कहा गया, इसी दिशा में मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना जैसी बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्यों और नये अंशदाताओं का अनुमान जारी करना शुरू किया है।
सोर्स : जीएनएस न्यूज एजेंसी